मनुष्य में श्वसन


 मनुष्य में श्वसन





भोजन का पाचन होने के पश्चात उत्पादों को शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुंचा दिया जाता है अब यहां पर इससे ऊर्जा प्राप्त की जाती हैं ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है यह ऑक्सीजन -----
शरीर के अंदर नासा द्वार द्वारा जाती हैं नासा द्वार द्वारा जाने वाली वायु मार्ग में उपस्थित महीन वालों द्वारा निष्पंदित हो जाती है. जिससे शरीर में जाने वाली वायु धूल तथा दूसरी अशुद्धियों रहित होती है, इस मार्ग में श्लेष्मा की परत होती है जो इस प्रक्रम में सहायक होती है यहां से वायु कंठ द्वारा फुफ्फुस मैं प्रवाहित होती है कंठ में उपास्थि के वलय उपस्थित होते हैं यह सुनिश्चित करता है कि वायु मार्ग में निपतित ना हो|

 मनुष्य में श्वसन
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फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओ में विभाजित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है जिसे कूपिका कहते हैं .कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है कूपिकाओ की भित्ति मैं रुधिर वाहिका उनका विस्तीर्ण जाल होता है. जब हम श्वास अंदर लेते हैं हमारी पसलियां ऊपर उठती हैं और डायफ्राम चपटा हो जाता है इसके परिणाम स्वरूप वक्ष गुहिका बड़ी हो जाती है ,इस कारण  वायु फुफ्फुस के अंदर चूस ली जाती हैं और विस्तृत कूपिकाओ को भर लेती है| रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओ में छोड़ने के लिए लाता है ,कूपिका से रुधिर ऑक्सीजन लेकर शरीर कीी सभी कोशिकाओं तक पहुंचाता है, श्वास चक्र के समय जब वायुु अंदर और बाहर होती है फुफ्फुस सदैव वायु का अवशिष्ट आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड केेे मोचन के के लििए पर्याप्त समय मिल जााता है| जैसेे जैसे जंतुओं के शरीर का आकार बढ़ता है अकेेेेला विसरण दाब शरीर के सभी अंगों मेंं ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए अपर्याप्त है उसकी दक्षता कम हो जाती है, फुफ्फुस की वायु को २वसन वर्णक ऑक्सीजन को लेकर उतको तक पहुंचातेे हैं जिनमें ऑक्सीजन की कमी है, मानव में श्वसन वर्णक हिमोग्लोबिन है जो ऑक्सीजन के लिए उच्च बंधुता रखता है, यह वर्णक लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित होता है कार्बन डाइऑक्साइड जल में अधिक विलय है और इसका परिवहन हमारे रुधिर में विलेेय अवस्था मैं होता है ,इसके पश्चात कोशिकाा में ऑक्सीजन की उपस्थितिि में ग्लूकोज से ऊर्जा की प्राप्ति निम्न प्रक्रम से होती है|


 मनुष्य में श्वसन

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कोशिकीय श्वसन द्वारा मोचित ऊर्जा तत्काल ही एटीपी (ATP) नामक अणु के संश्लेषण में प्रयुक्त हो जाती है ,जो कोशिका कि अन्य क्रियाओं के लिए इंधन की तरह प्रयुक्त होता है एटीपी के विखंडन से एक निश्चित मात्रा में ऊर्जा मोचित होती है जो कोशिका के अंदर होने वाली आंतरोfष्म क्रियाओं का परिचालन करती है|||

मनुष्य में श्वसन

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