संदेश

दिसंबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छत्रपति महाराज शिवाजी

चित्र
परिचय - मुगल साम्राज्य का विघटन होने से स्वतंत्र राज्यों का विभिन्न क्षेत्रों में उदय हुआ, उनमें राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सशक्त राज्य 'मराठा राज्य' था, जिसकी स्थापना ' शिवाजी ' ने की थी। आजकल जिस प्रदेश को ' महाराष्ट्र ' कहा जाता है, मध्य युग में उसमें पश्चिमी समुद्र तट का कोंकण प्रदेश, खानदेश तथा बरार का आधुनिक प्रदेश, नागपुर क्षेत्र, दक्षिण का कुछ हिस्सा तथा निजाम के राज्य का एक-तिहाई भाग था। यह भू-क्षेत्र मराठवाड़ा कहलाता था। शिवाजी (1627-80 ई.) शिवजी का जन्म 20 अप्रैल, 1627 ई. को पूना के निकट शिवनेर के दुर्ग में हुआ था। उनकी माता का नाम जीजाबाई था, जो देवगिरि के यादव वंश के जाधवराव की पुत्री थी।  उनके पिता शाहजी भोंसले पहले अहमदनगर एवं बाद में बीजापुर राज्य को सेवा में थे। शिवाजी बचपन में ' दादा कोणदेव' के संरक्षण में रहे और वे उनके शैक्षणिक गुरू थे। शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु 'रामदास' थे।  उनको 12 वर्ष की आयु में अपने पिता से पूना में जागीर प्राप्त हुई। शिवाजी का प्रारम्भिक सैनिक अभियान बीजापुर के आदिलशाही राज्य के विरुद्ध शुरू हुआ

भारतीय इतिहास के महान् सम्राट - चन्द्रगुप्त मौर्य। सम्राट अशोक। मौर्य साम्राज्य

चित्र
मौर्य साम्राज्य - चन्द्रगुप्त मौर्य : (322 ई. पू.-298 ई. पू.) चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पू. में हुआ था| पाटलिपुत्र चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य की राजधानी थी। चन्द्रगुप्त भारतीय इतिहास का प्रथम महान् सम्राट था। उसने अपने गुरू एवं मन्त्री विष्णुगुप्त, जिसे इतिहास में "चाणक्य' के नाम से आना जाता है, की सहायता से भारत को यूनानी शक्तियों से मुक्त कराया और मगध के नन्दवंशीय राजा घनानन्द को सिंहासन से पदच्युत कर मगध राज्य पर अपना अधिकार स्थापित किया।  चाणक्य ने 322 ई. पू. में उसका राज्याभिषेक किया।  यूनानी शासक सेल्युकस ने 305 ई. पू. में भारत पर आक्रमण किया था। इस आक्रमण में चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस को पराजित किया था। चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्युकस निकेटर की पुत्री हेलन से विवाह किया। सेल्युकस ने मेगस्थनीज नामक अपना एक राजदूत चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा मेगस्थनीज ने भारत पर 'इंडिका' नामक एक पुस्तक की रचना की थी।  जैन परम्पराओं के अनुसार अपने जीवन के अन्तिम दिनों में वह जैन हो गया तथा भद्रयाह की शिष्यता ग्रहण कर ली।  चन्द्रगुप्त के शासनकाल के अन्त में मगध में