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अक्तूबर, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अकबर

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                                अकबर अकबर अकबर  मुगल वंश का सबसे प्रतापी शासक था।अकबर ने भारत में अपना शासन कायम करने के पश्चात कई ऐसे कार्य के जो प्रशंसनीय हैं जो किसी भी प्रकार से भेदभाव रहित एवं सभी के लिए लाभदायक है अकबर ने हिंदुओं के धार्मिक कर को हटाया जो की तीर्थ यात्रा करने वालों पर लगाया जाता था अकबर कई मामलों में महान था किंतु उसके जीवन में सबसे बड़ा कलंक इस बात का था कि वह महाराणा प्रताप को हरा नहीं सका यद्यपि उसने पूरे भारत पर साम्राज्य स्थापित कर लिया था। इन्हें भी देखें :-  बाबर अकबर हुमायूं का पुत्र था। अकबर का नाम जलाल उद्दीन मोहम्मद था अकबर केवल उपाधि दी गई थी जिसका अर्थ महान होता है अकबर ने अपने शुरुआती जीवन में काफी संघर्ष किया। अकबर को मात्र 13 वर्ष की उम्र में शासक घोषित कर दिया गया किंतु सारे राज कार्य उनके संग रक्षक बैरम खान ही किया करते थे। अकबर को अकबर महान की उपाधि मिली हुई थी क्योंकि उनके कार्य हिंदू एवं मुस्लिम दोनों की एकता की ओर थे उन्हें दोनों संप्रदायों की ओर से समान प्यार मिला उन्होंने दीन ए इलाही नामक धर्म भी चलाया। अकबर को कला की कद्र थी

बाबर

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                            बाबर  भारत में मुगल वंश की स्थापना बाबर ने की थी एवं मुगल वंश ने कई वर्षों तक भारत पर शासन किया। बाबर ने ही भारत में सर्वप्रथम तोपखाने एवं तुलुगमा पद्धति जो कि एक युद्ध पद्धति है का सर्वप्रथम प्रयोग भारत में किया । इससे पूर्व यहां इस पद्धति का प्रयोग नहीं किया जाता था यहां ज्यादातर छापामार एवं गोरिल्ला युद्ध पद्धति का प्रयोग किया जाता था एवं भारत की कई स्थापत्य कला एवं अन्य क्षेत्र मुगल काल के समय में विकसित हुए इसलिए मुगल काल एवं मुगल काल के समय की गई निर्माण का श्रेय बाबर को ही जाता है, क्योंकि यदि बाबर नहीं होता तो शायद ही मुगल वंश भारत पर  शासन करता। इन्हें भी देखें:- राजस्थान की स्थिति एवं भौगोलिक विस्तार भारतीय इतिहास में बाबर की एक महत्वपूर्ण भूमिका है    ज़हिर उद-दिन मुहम्मद  बाबर (14 फ़रवरी 1483 - 26 दिसम्बर 1530) जो  बाबर  के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक  जिनका मूल मध्य एशिया था।  वो  तैमूर लंग  का वंशज था, और विश्वास रखता था कि  चंगेज़ ख़ान  उनके वंश का पूर्वज था। मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है। 1504 ई.काबुल तथा 1

First Person of Rajasthan

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                      First Person of Rajasthan राजस्थान में उच्च शिक्षा प्राप्त व कुछ महान हस्तियों ने इसे पद प्राप्त किए हैं जो कि उल्लेखनीय है उन्होंने वे पद राजस्थान में सर्वप्रथम प्राप्त किए हैं जिनकी वजह से वह राजस्थान के प्रथम व्यक्तित्व की गरिमा से सम्मानित हुए हैं। राजस्थान के प्रथम व एकमात्र महाराज प्रमुख :-  महाराज भूपाल सिंह                                                                                 (उदयपुर) राजस्थान के प्रथम व एकमात्र राज्य प्रमुख:- महाराजा सवाई मानसिंह                                                                             (जयपुर) राज्य के प्रथम राज्यपाल:-  सरदार गुरुमुख निहाल सिंह राजस्थान के प्रमुख पर्वत पहाड़ियां व पठार । राज्य के प्रथम विधानसभा अध्यक्ष :- नरोत्तम लाल जोशी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री :- हीरालाल शास्त्री राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री  :- टीकाराम पालीवाल First Person of Rajasthan राज्य की प्रथम महिला विधानसभा अध्यक्ष :-सुमित्रा सिंह राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री:- वसुंधरा राजे राज

Major Mountains and Plateaus of Rajasthan

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        राजस्थान के प्रमुख पर्वत पहाड़ियां व पठार Major Mountains and Plateaus of Rajasthan इस लेख में हमने राजस्थान के प्रमुख पर्वत पहाड़ियां व पठार का उल्लेख किया है जिसके बारे में निम्न तथ्य है ।   गुरुशिखर     :- अरावली  की पहाड़ियों में माउंट आबू सिरोही में स्थित राजस्थान की सबसे ऊंची पर्वत चोटी इसकी ऊंचाई 1722 मीटर है, किंतु कर्नल जेम्स टॉड की पुस्तक annals and antiquities of Rajasthan मैं इसकी ऊंचाई 1727 मीटर लिखी गई है ।यह हिमालय व पश्चिमी घाट की नीलगिरी के मध्य स्थित सर्वाधिक ऊंची चोटी है कर्नल टोड ने इसे   संतों का शिखर कहा है Major Mountains and Plateaus of Rajasthan सेर (सिरोही)  :-1597 मीटर ऊंची है। यह  राज्य के दूसरे सबसे ऊंची चोटी है दिलवाड़ा  :- राज्य की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है जिसकी लंबाई 1442 मीटर है जरगा:- उदयपुर 1431 मीटर ऊंची राज्य की चौथी सबसे ऊंची चोटी जो भोरठ के पठार में स्थित है। अचलगढ़ सिरोही:- 1380 मीटर ऊंची पर्वत श्रेणी है। रघुनाथगढ़ सीकर :-1055 मीटर ऊंची जोकि सीकर में है 920 मीटर तारागढ़ 873 मीटर मुकुंद वाड़ा की

Rajasthan's location and geographical spread

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राजस्थान की स्थिति एवं भौगोलिक विस्तार। Rajasthan's location and geographical spread हमारे देश का एक अभिन्न अंग राजस्थान जो की भौगोलिक स्थिति एवं अपने क्षेत्रफल से संपूर्ण भारत देश में एक अलग ही स्थान रखता है जो अत्यंत महत्वपूर्ण एवं जानने योग्य हैं।  राजस्थान का भौगोलिक विस्तार कुछ इस प्रकार है कि अरावली पर्वतमाला के कारण राजस्थान के दो भाग है। एक भाग उपजाऊ व अन्य भाग मरुस्थलीय है। राजस्थान पाकिस्तान से सटे होने के कारण भी चर्चा में है। भारतीय इतिहास के प्रमुख युद्ध  तो आइए जानते हैं राजस्थान की स्थिति एवं भौगोलिक विस्तार के बारे में । राजस्थान का क्षेत्रफल 342239   वर्ग किलोमीटर है। जो भारत के कुल क्षेत्रफल का 10.41%है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन संबंधी प्रमुख नारे स्थिति :- राजस्थान प्रदेश 23°3'उत्तरी अक्षांश से 30°12'उत्तरी अक्षांश तथा 69°30'पूर्वी देशांतर से 78° 17'पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। राजस्थान का अधिकांश भाग कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है। कर्क रेखा राज्य में डूंगरपुर जिले की दक्षिण सीमा से होती हुई बांसवाड़ा जिले के लग