बाबर

                           बाबर
 भारत में मुगल वंश की स्थापना बाबर ने की थी एवं मुगल वंश ने कई वर्षों तक भारत पर शासन किया। बाबर ने ही भारत में सर्वप्रथम तोपखाने एवं तुलुगमा पद्धति जो कि एक युद्ध पद्धति है का सर्वप्रथम प्रयोग भारत में किया । इससे पूर्व यहां इस पद्धति का प्रयोग नहीं किया जाता था यहां ज्यादातर छापामार एवं गोरिल्ला युद्ध पद्धति का प्रयोग किया जाता था एवं भारत की कई स्थापत्य कला एवं अन्य क्षेत्र मुगल काल के समय में विकसित हुए इसलिए मुगल काल एवं मुगल काल के समय की गई निर्माण का श्रेय बाबर को ही जाता है, क्योंकि यदि बाबर नहीं होता तो शायद ही मुगल वंश भारत पर  शासन करता।
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भारतीय इतिहास में बाबर की एक महत्वपूर्ण भूमिका है 
 ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर (14 फ़रवरी 1483 - 26 दिसम्बर 1530) जो बाबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ, एक जिनका मूल मध्य एशिया था। वो तैमूर लंग का वंशज था, और विश्वास रखता था कि चंगेज़ ख़ान उनके वंश का पूर्वज था। मुबईयान नामक पद्य शैली का जन्मदाता बाबर को ही माना जाता है। 1504 ई.काबुल तथा 1507 ई में कंधार को जीता था तथा बादशाह (शाहों का शाह) की उपाधि धारण की 1519 से 1526 ई. तक भारत पर उसने 5 बार आक्रमण किया तथा सफल 1526 में उसने पानीपत पानीपत के प्रथम युद्ध के में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुगल वंश की नींव रखी । उसने 1527 में खानवा का युद्ध किया जोकि राणा संग्राम सिंह सांगा से हुआ जिसमें बाबर की अत्यंत मुश्किल से जीत हुई। राणा सांगा ने अपनी जान की बाजी लगा दी थी किंतु बाबर की सूज बूज के आगे ज्यादा नहीं टिक सके सांगा के शरीर पर युद्ध के दौरान 80 घाव लगे थे । इस वीरता की तारीफ स्वयं बाबर ने की थी क्योंकि उन्होंने इतना लड़ाका और जांबाज योद्धा पहले कभी नहीं देखा।

1528 मैं चंदेरी तथा 1529 में आगरा जीतकर अपने राज्य को सफल बना दिया । 1530 ई० में उसकी मृत्यु हो गई बाबर की मृत्यु के पश्चात उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें काबुल में दफनाया गया। बाबर के पश्चात उनके पुत्र हुमायूं को गद्दी सौंपी गई किंतु हुमायूं को अपने भाइयों का सहयोग ना होने के कारण ज्यादा समय तक नहीं टिक सके। 
बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा एवं माता कूतलुग निगार खानम था। बाबर के पश्चात अकबर ने ही सबसे ज्यादा गौरव एवं प्रसिद्धि हासिल की थी अकबर के दिल में सभी धर्मों के लिए समान भाव थे इसलिए अकबर भी बाबर की तरह महान था। कहा जाता है कि बाबर अत्यंत बलिष्ठ था इसलिए वह दो लोगों को अपने कंधे पर उठाकर उन्नयन कोण पर दौड़ सकता था।

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