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उत्परिवर्तन किसे कहते है। What is mutation। उत्परिवर्तन के प्रकार

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उत्परिवर्तन उत्परिवर्तन किसे कहते हैं? (What is Mutation)- सजीवों (केन्द्रक) में आनुवांशिक पदार्थ का वितरण व प्रतिकृति (Distribution and replication) इतनी विधिपूर्ण (Precise) है कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आनुवांशिक सूचनायें प्रायः किसी भी परिवर्तन के बिना संचरित होती है,  लेकिन कभी-कभी आनुवांशिक पदार्थ की प्रतिकृति व वितरण दोनों में दोष मिलते हैं, जो कि एक जीव के गुणों में अचानक वंशागत परिवर्तनों को उत्पन्न करते हैं। ऐसे परिवर्तनों को ' उत्परिवर्तन ' कहते हैं।   जो परिवर्तन जनक पीढ़ी से संतति पीढ़ी में प्रेषित होते हैं उन्हें वंशागत परिवर्तन कहते हैं। जो युग्म विकल्पी परिवर्तित लक्षण प्ररूप उत्पन्न करते हैं, उन्हें उत्परिवर्ती युग्मविकल्पी कहते हैं। दूसरे शब्दों में किसी जीव में अचानक उत्पन्न हुए वंशागत परिवर्तनों को उत्परिवर्तन कहते हैं। (1) स्वतः उत्परिवर्तन प्रकृति में किसी भी अस्पष्ट या अज्ञात कारण के उत्परिवर्तन होते रहते हैं, अर्थात् उन्हें किसी उत्परिवर्तजन (Mautagen) द्वारा उत्पन्न नहीं किया जाता है, ऐसे उत्परिवर्तनों को स्वतः उत्परिवर्तन कहते हैं। स्वतः उत्परिवर्त

रेशम कीट पालन क्या है। रेशम कीट पालन पर निबंध। Sericulture

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रेशन कीट पालन क्या है? व्यापारिक उद्देश्य से रेशम को प्राप्त करने के लिये वैज्ञानिक विधि से रेशम कीटों का पालन रेशम कीट पालन कहलाता है । रेशम लेपिडोप्टेरा के मोथ के लार्वा द्वारा स्त्रावित प्रोटीन होता है यह लार्वा के रेशम की ग्रन्थियों से निकाला जाता है। रेशम के धागे पूरे शरीर के चारों ओर बुन दिया जाता है। ये धागे हवा लगने के बाद सूखकर कड़े हो जाते है व कोकून बनाते है। ये धागे 300 मी. तक लम्बे होते है।                                          रेशन कीट पालन विभिन्न प्रकार के रेशम कीट (Kinds of sild worms)- शहतूत के रेशम कीट (Bomyx mori) के अतिरिक्त ओर भी निम्नलिखित रेशम कीट की जातियाँ हैं। (1) टूसर रेशम कीट (Antheraea paphia mylitta L.)- यह बंगाल, आसाम तथा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के जंगलों में या जाता है जो कि साल, बेर, गुलर तथा पाखर आदि की पत्तियाँ खाता है।  यह अर्धपालित कीट है। इसकी सूंडी हल्का भूरा अथवा पीला कोया (cocoon) बनाती है जो कि वृक्षों पर डण्ठल द्वारा लटका रहता है। इसका पूरा धागा उधेड़ कर लपेट दिया जाता है जिससे अच्छे प्रकार का रेशम प्राप्त होता है। टसर रेशम कीट की

लाख कीट पालन। लाख कीट का जीवन चक्र।

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लाख कीट पालन क्या है?  लाख एक प्राकृतिक लीसा या रेजिन हैं जो एक कीट द्वारा स्त्रावण से प्राप्त होता है। इसे लाख कीट कहते हैं। लाख की प्राप्ति हेतु इन कीटो के संवर्धन की तकनीक लाख कीट पालन कहलाती हैं।  लाख कीट पालन मुख्यत किन राज्यों में होता है? भारत में मुख्य लाख उत्पादक राज्य बिहार, मध्यप्रदेश, प. बंगाल, आसाम, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, (इंद्रगढ, जयपुर, करौली, झालावाड़, कोटा) व महाराष्ट्र है। लाख कीटों की अनेक जातियों में लैसीफर लैक्का सबसे महत्वपूर्ण है इससे व्यापारिक रूप से लाख प्राप्त किया जाता है। लाख कीट एक सूक्ष्म रेजिन सदृश्य रेंगने वाला, पतला कीट है जो अपनी चोंच को पादप उत्तक में डाल कर रस चूसता है व वृद्धि करता है। लाख इसके शरीर के पश्च भाग से स्त्रावित होती है। अंत में यह कीट स्वयं द्वारा बनाये कोष्ठिका में बंद हो जाता है। अधिक मात्रा में व्यापारिक लाख मादा कीट द्वारा स्त्रावित किया जाता है जो स्वयं के शरीर का रक्षा आवरण बनाता है, जो परपोषी पादप के लिये हानिकारक होता है। लाख कीट का जीवन-चक्र पूर्ण व्यस्क होने पर नर स्वयं के कक्ष को छोड़कर लाख की पपड़ी पर गतिमान होता है। न

मधुमक्खी पालन क्या है। मधुमक्खी पालन पर निबंध

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मधुमक्खी पालन क्या है। मधुमक्खी पालन पर निबंध मधुमक्खियों के कृत्रिम - पालन को 'एपीकल्चर' (apiculture) कहा जाता है। मनुष्य एवं अन्य जन्तुओं के लिए मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया गया मधु (Honey) एक प्रमुख स्वास्थ्यवर्धक भोजन है।  मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया गया मोम (wax) चिकित्सा एवं अन्य कार्यो के लिए प्रयोग किया जाता है। मधुक्खियों द्वारा पौधों में परपरागण (cross pollination) भी होता है। अतः ये कृषि के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। मधुमक्खी का वर्गीकरण (Classification): संघ (Phylum) - आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)  उपसंघ (subphylum) - मैण्डीवुलेटा (Mandibulata) वर्ग (class) - इन्सैक्टा (Insecta) उपवर्ग (subclss) - टैरीगोटा (Pterygota) गुण (Order) - हाइमिनॉप्टेरा (Hymenoptera) श्रेणी (Genus) - एपिस (Apis) स्वभाव एवं वासस्थान (Habits and Habitat): मधुमक्खी एक सामाजिक कीट है इसके मुखांग चूषण और बेधन दोनों प्रकार के होते है। इसमें पूर्ण-कायान्तरण (Complete meta morphosis) पाया जाता है। ये मकरंद (necter) और फूलों के पराग (pollen) पर भरण-पोषण करती है। मधुमक्ख्यिाँ छत्ते (Beehives) बनाकर स्था

पारिस्थितिकी किसे कहते है | भारतीय पारिस्थितिकी का जनक कौन हैं?

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पारिस्थितिकी किसे कहते है? पारिस्थितिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें समस्त जीवों एवं वनस्पतियों तथा भौतिक पर्यावरण के मध्य अंतसंबंधों एवं विभिन्न जीवों के मध्य पारस्परिक अन्तसंबंधों का अध्ययन किया जाता है।   पारिस्थितिकी शब्द का उद्गम दो ग्रीक शब्दों Oikos जिसका अर्थ house (आवास) है एवं Logos= Study(अध्ययन) है से हुआ है। यहाँ आवास से तात्पर्य जीव-जंतुओं एवं पौधों के प्राकृतिक आवास या पर्यावरण से है। सर्वप्रथम जर्मन वैज्ञानिक रीटर ने 1868 ई. में यह शब्द का प्रयोग किया था। भारतीय पारिस्थितिकी का जनक कौन हैं? प्रो. रामदेव मिश्रा को भारतीय पारिस्थितिकी का जनक कहते हैं।  पारिस्थितिकी तंत्र : वातावरण के जैविक व अजैविक कारकों के समन्वय से निर्मित्त तंत्र पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है। पारिस्थितिकी तंत्र की कोई निश्चित सीमा नहीं होती है। पौधों और पशुओं के प्राकृतिक पारिस्थितिक समूह अपने क्षेत्र में एक बायोम के रूप में कार्य करते हैं। एक वायोम सबसे बड़ा स्थलीय समुदाय है। वर्षा, तापक्रम, मृदा की प्रकृति, अवरोध, अक्षांश एवं ऊँचाई आदि बायोम की प्रकृति तथा सीमा निर्धारित करते है। पारिस्थितिकी तंत्र