माइटोकोंड्रिया( सूत्रकणिका)------- कोशिका का शक्ति गृह




 माइटोकॉन्ड्रिया- सूत्र कणिका को जब तक विशेष रूप से अबे रंजीत नहीं किया जाता, तब तक इसी सूक्ष्मदर्शी द्वारा आसानी से नहीं देखा जा सकता, प्रत्येक  कोशिका मैं सूत्रकणिका की संख्या भिन्न होती है यह उसकी कार्य की सक्रियता पर निर्भर करती है, यह आकृति व आकार में भिन्न होती है यह तश्तरीनुमा बेलनाकार आकृति की होती है ,जो 1.0-4.1 माइक्रोमीटर लंबी व 0.2-1 माइक्रोमीटर( औसत 0.5 माइक्रोमीटर) व्यास की होती है lसूत्रकणिका एक दोहरी झिल्ली युक्त संरचना होती है ,जिसकी बाहरी झिल्ली वह भीतरी  झिल्ली इसकी अवकाशीका को दो स्पष्ट जलीय कक्षों बाह्य कक्ष व भीतरी कक्ष मैं विभाजित करती है ,भीतरी कक्ष को आधात्री या मैट्रिक्स कहते हैं ।बाह्यकला सूत्रकणिका की बाह्य सतत सीमा बनाती है ।इसकी अंतःझिल्ली के आधात्री की तरफ अंतरवलन बनाती है जिसे क्रिस्टी कहते हैं ।



क्रिस्टी इसके क्षेत्रफल को बढ़ाते हैं इसकी दोनों झिल्लीयो मे इनसे संबंधित विशेष एंजाइम मिलते हैं जो सूत्र कणिका के कार्य से संबंधित है ।सूत्रकणिका का वायवीय श्वसन से संबंध होता है I इनमें कोशिकीय ऊर्जा एटीपी के रूप में उत्पादित होती है। इस कारण से सूत्रकणिका को कोशिका का शक्ति गृह या पावर हाउस वे कहते हैं ।सूत्र कणिका के आधात्री में एकल वृत्ताकार डीएनए अणु है व कुछ RNA राइबोसोम्स( 70s) तथा प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक घटक मिलते हैं ।सूत्र कणिका विखंडन द्वारा विभाजित होती हैं । -






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