तंत्रिका उत्तक या तंत्रिका

तंत्रिका उत्तक या तंत्रिका-


तंत्रिका तंत्र की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई तंत्रिका या न्यूरॉन कहलाती  है।

तंत्रिका की संरचना-
कोशिकाय कोशिका का प्रमुख भाग होता है ,इसमें कोशिका द्रव्य वे केंद्रक पाया जाता है ,केंद्रक में केंद्रिका स्पष्ट होती है।
कोशिका द्रव्य में निस्सल कणिकाएं एवं न्यूरोफाइब्रिल्स नामक तन्तु पाए जाते हैं।
कोशिकाय अथवा सोमा से दो प्रकार के प्रवर्ध निकलते हैं जिन्हे -द्रुमिकाएँ एवं तंत्रिकाक्ष या एग्जॉन कहते हैं।




द्रुमिकाएँ यह छोटे शाखित प्रर्वध होते हैं इनसे संदेश सोमा की ओर जाता है ।

तंत्रिकाक्ष यह बड़ा प्रर्वध होता है जो सोमा से निकलता है ,सोमा से संदेश तंत्रिकाक्ष द्वारा आगे जाता है।

तंत्रिकाक्ष का अधिकांश भाग श्वेत मोटे आवरण द्वारा घिरा होता है जिसे मज्जा आच्छाद कहते हैं ,इसका निर्माण श्वान कोशिकाओं से होता है, इसके बाहर की तरफ तंत्रिकाछद नामक आवरण पाया जाता है।

मज्जा आच्छाद में स्थान संकीर्णन पाए जाते हैं जिन्हें रेन्वियर की पर्व सन्धियाँ कहते हैं ,दो पर्व संधियों के बीच वाले भाग को पर्व कहते हैं। तंत्रिकाक्ष से उत्पन्न हुई पा२र्व शाखाएं संपार्श्विक तंतु कहलाते हैं।


तंत्रिका के मुख्य कार्य-

  1. शरीर के विभिन्न अंगों के मध्य समन्वयन का कार्य
  2. प्रेरणाओ का संवहन

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