रॉलट एक्ट एवं जलियांवाला बाग हत्याकांड
रॉलट एक्ट एवं जलियांवाला बाग हत्याकांड
जलियांवाला बाग |
गांधी जी ने 1919 में प्रस्तावित रॉलट एक्ट के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन चलाने का फैसला लिया।
भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इस कानून को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने बहुत जल्दबाजी मैं पारित कर दिया था ,इस कानून के जरिए सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनीतिक कैदियों को 2 साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था ।महात्मा गांधी एसे अन्याय पूर्ण कानूनों के खिलाफ अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे ,इसे 6 अप्रैल को एक हड़ताल से शुरू होना था।
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विभिन्न शहरों में रैली जुलूस का आयोजन किया गया, रेलवे वर्कशॉप में कामगार हड़ताल पर चले गए, दुकानें बंद हो गई इस व्यापक जन उभार से चिंतित तथा रेलवे व टेलीग्राफ जैसी संचार सुविधाओं के भंग हो जाने की आशंका से भयभीत अंग्रेजों ने राष्ट्रवादियों पर दमन शुरू कर दिया ,अमृतसर में बहुत सारे स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया गया ।गांधी जी के दिल्ली में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी गई ।10 अप्रैल को पुलिस ने अमृतसर में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर गोली चला दी इसके बाद लोग बैंकों डाकखाना और रेलवे स्टेशनों पर हमला करने लगे।
रॉलट एक्ट एवं जलियांवाला बाग हत्याकांड
इसके बाद मार्शल ला लागू कर दिया गया और जनरल डायर ने कमान संभाल ली
13 अप्रैल को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ उस दिन अमृतसर में बहुत सारे गांव वाले सालाना वैशाखी मेले में शिरकत करने के लिए जलियांवाला बाग मैदान में जमा हुए थे
काफी लोग तो सरकार के द्वारा लागू किए गए दमनकारी क़ानून का विरोध प्रकट करने के लिए एकत्रित हुए, यह मैदान चारों तरफ से बंद था शहर से बाहर होने के कारण वहां जुटे लोगों को यह पता नहीं था कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है, जनरल डायर हथियारबंद सैनिकों के साथ वहां पहुंचा और जाते ही उसने मैदान से बाहर निकलने के सारे रास्तों को बंद कर दिया इसके बाद उसके सिपाहियों ने भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चला दी सैकड़ों लोग मारे गए ।बाद में उसने बताया कि वह सत्याग्रहीयो के जेहन में दहशत और विस्मय का भाव पैदा करके एक' नैतिक प्रभाव उत्पन्न 'करना चाहता था