उत्सर्जन के आधार पर प्राणी

उत्सर्जन के प्रकार-

उत्सर्जन- किसी भी प्राणी के शरीर में होने वाली उपापचयी क्रियाओं के फल स्वरूप बनने वाले नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों को जो शरीर के लिए हानिकारक होते हैं शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

विभिन्न प्राणियों के नाइट्रोजन युक्त अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन अलग-अलग स्वरूपों में किया जाता है।

इसी आधार पर प्राणियों को  विभिन्न श्रेणियों में विभक्त किया जाता है

(i)- वे प्राणी जो अमीनो अम्लों के रूप में ही कुछ उत्सर्जी पदार्थों को त्यागते           अमीनोटेलीक प्राणी कहलाते हैं
जैसे-यूनियो लिम्निया तथा संघ इकाईनोडर्मेटा

(॥)-वे प्राणी जो अपने उत्सर्जी पदार्थों को अमोनिया के रूप में त्यागते अमोनोटलिक प्राणी कहलाते हैं इसके अंतर्गत अमीनो अम्लों के विघटन के फलस्वरूप अमोनिया बनती है जो अत्यंत विषैली, हानिकारक तथा जल में घुलनशील होती है इस कारण अमोनिया को अधिक समय तक शरीर में संचित नहीं किया जा सकता है अधिकांश जरिए जंतु इसे इसी रूप में उत्सर्जित कर देते हैं
जैसे संघ प्रोटोजोआ पोरीफेरा सिलेन्ट्रेटा संघ ऐनेलिडा के वर्ग पॉलीकीटा के सदस्य और मोलस्का एवं जलीय आर्थोपोडा

(॥।)- वे प्राणी जो अपने उत्सर्जी पदार्थ को यूरिया के रूप में उत्सर्जित करते हैं 
यूरियोटेलिक प्राणी कहलाते हैं इनमें उपापचय से उत्पन्न हुई अमोनिया से यूरिया का निर्माण कर लिया जाता है। चूँकी यूरिया अमोनिया की अपेक्षा कम हानिकारक होता है अतः इसे कुछ समय तक शरीर में संग्रहित किया जा सकता है ।अमोनिया से यूरिया का निर्माण शरीर में रसायनिक क्रियाओं के एक विशेष क्रम द्वारा होता है जिसे आर्निथीन चक्र कहा जाता है यूरिया उत्सर्जन के लिए अधिक जल की आवश्यकता नहीं होती अतः सभी स्थलीय जंतु एवं कुछ जलीय जंतु उत्सर्जी पदार्थों को यूरिया के रूप में  बाहर निकालते हैं।

(IV)-वे प्राणी जो यूरिक अम्ल के रूप में अपने उत्सर्जी पदार्थों को त्यागते वे यूरिकोटेलिक प्राणी कहलाते हैं। यूरिक अम्ल जल में अघुलनशील एवं कम हानिकारक होता है अतःवे प्राणी जो उत्सर्जन मे जल की हानि को सहन नहीं कर सकते व शुष्क वातावरण में रहते हैं वे इस श्रेणी में आते हैं 

जैसे- सरीसृप , पक्षी  व कीट वर्ग के प्राणी



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