AIDS-(एड्स)
AIDS(एड्स)- एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसियेंसी सिंड्रोम
इसका अर्थ होता है -प्रतिरक्षा तंत्र की न्यूनता जो हम जीवन काल में उपार्जित करते हैं।एड्स का पता सबसे पहले 1981 में चला, अब तक संपूर्ण विश्व में 2.50 करोड़ लोगों की मृत्यु हो चुकी है इसके कारण।
एड्स एक विषाणु जनित रोग है जोकि HIV-( ह्यूमन इम्यूनो डिफिसिएंसी वायरस) के द्वारा होता है ।एच आई वी पश्च विषाणु( रिट्रोवायरस) समुह का सदस्य है।
इनमें RNA जीनोम को ढकने वाला आवरण होता है ।आमतौर पर एचआईवी का संक्रमण निम्न कारको से हो सकता है-
- पहले से ही इस रोग से संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से
- संदूषित रक्त के आदान-प्रदान से
- संक्रमित सुइयों के साझा प्रयोग से
- संक्रमित मां से अपरा द्वारा उसके बच्चे में
एच आई वी छूने या शरीर के संपर्क में आने पर नहीं फैलता, यह केवल शरीर में स्रावित द्रवों के आदान-प्रदान से फैलता है।
यह विषाणु शरीर में प्रवेश करने के बाद विषाणवीय डी एन ए बृहतभक्षकाणु मे बनाता है , तथा यह विषाणवीय डीएनए परपोषी की कोशिका के डीएनए में स्मविष्ट होकर कोशिकाओं को विषाणु कण उत्पन्न करने के निर्देश देता है।
बृहतभक्षकाणु विषाणु उत्पन्न करना जारी रखते हैं और इस तरह एक एचआईवी फैक्ट्री की तरह कार्य करते हैं। एचआईवी टी-लसीकाणु मैं प्रवेश करते हैं व प्रतिकृति बनाते हैं और संतति विषाणु उत्पन्न करते है, इन्हें रुधिर में छोड़ दिया जाता है जो अन्य टी-लसीकाणुओ पर हमला कर उन्हें भी संक्रमित कर देते हैं ,यह क्रम बार-बार दोहराया जाता है जिसके कारण टी-लसीकाणुओ की संख्या में कमी आ जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान दस्त बार बार बुखार वजन घटना आदि होते हैं।
टी-लसीकाणुओ की संख्या में गिरावट के कारण व्यक्ति जीवाणुओं विषाणुओ कवकों जैसे परजीवीयो के द्वारा संक्रमित हो जाता है रोगी में प्रतिरक्षा इतनी न्यून हो जाती हैं कि वह इन सभी से अपनी सुरक्षा करने में असमर्थ हो जाता है।
एड्स की पहचान के लिए मुख्यतः किया जाने वाला परीक्षण एंजाइम्स संलग्न प्रतिरक्षा रोधी आमापन एलीसा( एलीसा- एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोजारबेट एस्से)
है।
एड्स की रोकथाम किस प्रकार की जा सकते हैं??
एक बार व्यक्ति इस रोग से संक्रमित होने के पश्चात इसे ठीक नहीं किया जा सकता।
एड्स से पूर्णतया रोग मुक्त करने के लिए अभी तक वर्तमान में कोई भी औषधि नहीं है।
इससे सुरक्षित रहने का उपाय है कि आप संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध ना बनाएं I संक्रमित सुई का प्रयोग ना करें ।किसी भी व्यक्ति के रुधिर से सीधे संपर्क में नहीं आए। आदि से हम एड्स सुरक्षित रह सकते हैं